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Category Archives: સરસ

गज़ब का संदेश


किसी समय दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी न पूछा – ‘क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है ?
बिल गेट्स ने जवाब दिया – हां, एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है.
कौन —!!!!!

बिल गेट्स ने बताया –

एक समय में जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे, न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था.. वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा,पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले काले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा – यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ.. बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे. उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया, तो मैंने मना कर दिया. मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा, आप इसे ले सकते हैं,मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ.. मुझे नुकसान नहीं होगा. मैंने अखबार ले लिया……

19 साल बाद अपने प्रसिद्ध हो जाने के बाद एक दिन मुझे उस लड़के की याद आयी और मैन उसे ढूंढना शुरू किया. कोई डेढ़ महीने खोजने के बाद आखिरकार वह मिल गया.

मैंने पूछा – क्या तुम मुझे पहचानते हो ?
लड़का – हां, आप मि. बिल गेट्स हैं.
गेट्स – तुम्हे याद है, कभी तुमने मुझे फ्री में अखबार दिए थे ?
लड़का – जी हां, बिल्कुल.. ऐसा दो बार हुआ था..
गेट्स- मैं तुम्हारे उस किये हुए की कीमत अदा करना चाहता हूँ.. तुम अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहते हो, बताओ, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगा..
लड़का – सर, लेकिन क्या आप को नहीं लगता कि, ऐसा कर के आप मेरे काम की कीमत अदा नहीं कर पाएंगे..
गेट्स – क्यूं ..!!!
लड़का – मैंने जब आपकी मदद की थी, मैं एक गरीब लड़का था, जो अखबार बेचता था..
आप मेरी मदद तब कर रहे हैं, जब आप इस दुनिया के सबसे अमीर और सामर्थ्य वाले व्यक्ति हैं.. फिर, आप मेरी मदद की बराबरी कैसे करेंगे…!!!

बिल गेट्स की नजर में, वह व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति से भी अमीर था, क्योंकि—–
“किसी की मदद करने के लिए, उसने अमीर होने का इंतजार नहीं किया था “….

इसलिए हमारे दोस्तो जहाँ भी मौका मिले मदद करते चलो ।

 

​મમ્મી એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે      -ડૉ. નિમિત ઓઝા 


કેસેરોલમાં રહેલી છેલ્લી રોટલી આપણને આપીને, ‘મને તો જરાય ભૂખ જ નથી’ એવું જ્યારે કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે.
રોજ સવારે મંદિરમાં પ્રાર્થના કરતી વખતે, ‘મારે કશું જ જોઈતું નથી’ એવું જ્યારે ઈશ્વરને કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે. 

આપણી જેમ આપણી નિષ્ફતાઓને વ્હાલ કરીને, આપણી ઉદાસી ઉપર હાથ ફેરવીને ‘બધું સારું થઈ જશે’ એવું કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી આપણી ઉદાસીને એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે.

પોતાની આંખોમાં ડાયપર સંતાડી, મમ્મી જ્યારે કોરું કટ્ટ રડતી હોય છે ત્યારે ચહેરા ઉપર ‘મેડ ઇન ચાઈના’ વાળું સ્માઈલ લગાડીને મમ્મી આપણી આંખોને એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે. 

આપણી સાથે આખી રાત જાગીને ‘મને તો ઊંઘ જ નથી આવતી’ એવું જ્યારે કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી ઉજાગરાને એપ્રિલ ફૂલ કહેતી હોય છે. 

છાતીમાં દુખતું હોય કે ઘૂંટણનો દુઃખાવો હોય, માથું દુખે કે તાવ આવતો હોય, મમ્મી વાત વાતમાં એપ્રિલ ફૂલ બનાવે. બીમારીએ પોતાના શરીરમાં નિમંત્રણ કાર્ડ છપાવીને ઉદઘાટન કરેલું હોય તેમ છતાં મમ્મીને તો એ વાતની જાણ ક્યારેય હોતી જ નથી. પોતાના મજબૂત મનોબળની દીવાલ પર પોતાની બધી જ બીમારીઓને પ્રદર્શન માટે ટીંગાડીને ‘મને તો સાવ સારું છે’ એવું જ્યારે કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે. 

દરેક વખતે પૂછાયેલા ‘કેમ છો?’ ના જવાબમાં એકપણ સેકન્ડનો ‘pause’ આપ્યા વગર ‘મજામાં છું’ કહેતી હોય છે ત્યારે મમ્મી એપ્રિલ ફૂલ બનાવતી હોય છે.

 

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बंदरों की ज़िद्द


एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया..

उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक  सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..

जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा..

पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा..

पर experimenters यहीं नहीं रुके,
उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया..

बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए..

पर वे कब तक बैठे रहते,
कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया..
और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा..

अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया..

और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी..

एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए…

थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ..

बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया,
ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..

अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की..

अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया..

नया बन्दर वहां के rules क्या जाने..

वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका..

पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी..

उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे..

ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं..

इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया..

इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था..
जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!

experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था..

पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह ही था..

वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते..

Friends, हमारी society में भी ये behaviour देखा जा सकता है..

जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है,
चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं..

उसे failure का डर दिखाया जाता है..

और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..

इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आस पास के लोगों का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये..

अपने logic और guts की सुनिए..
ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..
और बढ़ते रहिये..

कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए..

 

कैंची और सुई


एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण,एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।

वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा ।

उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं ।

फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।

जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?

पापा ने कहा-बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?

बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?

इसका जो उत्तर पापा ने दिया-उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।

उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है ।

यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं……..!!

Source:  Whatsapp msg

 

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प्रभु की लीला


एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन भ्रमण पर निकले तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राहमण को भिक्षा मागते देखा अर्जुन को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस ब्राहमण को स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक पोटली दे दी।

जिसे पाकर ब्राहमण ख़ुशी ख़ुशी घर लौट चला। पर राह में एक लुटेरे ने उससे वो पोटली छीन ली।

ब्राहमण दुखी होकर फिर से भिक्षावृत्ति में लग गया।

अगले दिन फिर अर्जुन की दृष्टि जब उस ब्राहमण पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा।
ब्राहमण की व्यथा सुनकर उन्हें फिर से उस पर दया आ गयी और इस बार उन्होंने ब्राहमण को एक माणिक दिया।

ब्राहमण उसे लेकर घर पंहुचा और चोरी होने के डर से उसे एक घड़े में छिपा दिया। दिन भर का थका मांदा होने के कारण उसे नींद आ गयी, इस बीच ब्राहमण की स्त्री उस घड़े को लेकर नदी में जल लेने चली गयी और जैसे ही उसने घड़े को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धरा के साथ बह गया।

ब्राहमण को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया।

अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में उसे देखा तो जाकर सारा हाल मालूम किया।

सारा हाल मालूम होने पर अर्जुन भी निराश हुए और मन की मन सोचने लगे इस अभागे ब्राहमण के जीवन में कभी सुख नहीं आ सकता।

अब यहाँ से प्रभु की लीला प्रारंभ हुई।

उन्होंने उस ब्राहमण को दो पैसे दान में दिए।

तब अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु मेरी दी मुद्राए और माणिक भी इस अभागे की दरिद्रता नहीं मिटा सके तो इन दो पैसो से इसका क्या होगा” ?

यह सुनकर प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस ब्राहमण के पीछे जाने को कहा।

रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ जा रहा था कि”दो पैसो से तो एक व्यक्ति के लिए भी भोजन नहीं आएगा प्रभु ने उसे इतना तुच्छ दान क्यों दिया”?

तभी उसे एक मछुवारा दिखा जिसके जाल में एक मछली तड़प रही थी।
ब्राहमण को उस मछली पर दया आ गयी उसने सोचा”इन दो पैसो से पेट कि आग तो बुझेगी नहीं क्यों न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जाये”यह सोचकर उसने दो पैसो में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने कमंडल में डाल दिया।
कमंडल के अन्दर जब मछली छटपटई तो उसके मुह से माणिक निकल पड़ा।

ब्राहमण ख़ुशी के मारे चिल्लाने “लगा मिल गया मिल गया ”..!!!

तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहा से गुजर रहा था जिसने ब्राहमण की मुद्राये लूटी थी।
उसने सोचा कि ब्राहमण उसे पहचान गया और अब जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत करेगा इससे डरकर वह ब्राहमण से रोते हुए क्षमा मांगने लगा और उससे लूटी हुई सारी मुद्राये भी उसे वापस कर दी।

यह देख अर्जुन प्रभु के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके।

जब आप दूसरे का भला कर रहे होते हैं,
तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं।

 

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श्रीकृष्ण की माया


सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण ने पूछा कान्हा, मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूं… कैसी होती है?”
श्री कृष्ण ने टालना चाहा, लेकिन सुदामा की जिद पर श्री कृष्ण ने कहा, “अच्छा, कभी वक्त आएगा तो बताऊंगा|”

और फिर एक दिन कहने लगे… सुदामा, आओ, गोमती में स्नान करने चलें| दोनों गोमती के तट पर गए| वस्त्र उतारे| दोनों नदी में उतरे… श्रीकृष्ण स्नान करके तट पर लौट आए| पीतांबर पहनने लगे… सुदामा ने देखा, कृष्ण तो तट पर चला गया है, मैं एक डुबकी और लगा लेता हूं… और जैसे ही सुदामा ने डुबकी लगाई… भगवान ने उसे अपनी माया का दर्शन कर दिया|

सुदामा को लगा, गोमती में बाढ़ आ गई है, वह बहे जा रहे हैं, सुदामा जैसे-तैसे तक घाट के किनारे रुके| घाट पर चढ़े| घूमने लगे| घूमते-घूमते गांव के पास आए| वहां एक हथिनी ने उनके गले में फूल माला पहनाई| सुदामा हैरान हुए| लोग इकट्ठे हो गए| लोगों ने कहा, “हमारे देश के राजा की मृत्यु हो गई है| हमारा नियम है, राजा की मृत्यु के बाद हथिनी, जिस भी व्यक्ति के गले में माला पहना दे, वही हमारा राजा होता है| हथिनी ने आपके गले में माला पहनाई है, इसलिए अब आप हमारे राजा हैं|”

सुदामा हैरान हुआ| राजा बन गया| एक राजकन्या के साथ उसका विवाह भी हो गया| दो पुत्र भी पैदा हो गए| एक दिन सुदामा की पत्नी बीमार पड़ गई… आखिर मर गई… सुदामा दुख से रोने लगा… उसकी पत्नी जो मर गई थी, जिसे वह बहुत चाहता था, सुंदर थी, सुशील थी… लोग इकट्ठे हो गए… उन्होंने सुदामा को कहा, आप रोएं नहीं, आप हमारे राजा हैं… लेकिन रानी जहां गई है, वहीं आप को भी जाना है, यह मायापुरी का नियम है| आपकी पत्नी को चिता में अग्नि दी जाएगी… आपको भी अपनी पत्नी की चिता में प्रवेश करना होगा… आपको भी अपनी पत्नी के साथ जाना होगा|

सुना, तो सुदामा की सांस रुक गई… हाथ-पांव फुल गए… अब मुझे भी मरना होगा… मेरी पत्नी की मौत हुई है, मेरी तो नहीं… भला मैं क्यों मरूं… यह कैसा नियम है? सुदामा अपनी पत्नी की मृत्यु को भूल गया… उसका रोना भी बंद हो गया| अब वह स्वयं की चिंता में डूब गया… कहाभी, ‘भई, मैं तो मायापुरी का वासी नहीं हूं… मुझ पर आपकी नगरी का कानून लागू नहीं होता… मुझे क्यों जलना होगा|’ लोग नहीं माने, कहा, ‘अपनी पत्नी के साथ आपको भी चिता में जलना होगा… मरना होगा… यह यहां का नियम है|’ आखिर सुदामा ने कहा, ‘अच्छा भई, चिता में जलने से पहले मुझे स्नान तो कर लेने दो…’ लोग माने नहीं… फिर उन्होंने हथियारबंद लोगों की ड्यूटी लगा दी… सुदामा को स्नान करने दो… देखना कहीं भाग न जाए…

रह-रह कर सुदामा रो उठता| सुदामा इतना डर गया कि उसके हाथ-पैर कांपने लगे… वह नदी में उतरा… डुबकी लगाई… और फिर जैसे ही बाहर निकला… उसने देखा, मायानगरी कहीं भी नहीं, किनारे पर तो कृष्ण अभी अपना पीतांबर ही पहन रहे थे… और वह एक दुनिया घूम आया है| मौत के मुंह से बचकर निकला है…सुदामा नदी से बाहर आया… सुदामा रोए जा रहा था|

श्रीकृष्ण हैरान हुए… सबकुछ जानते थे… फिर भी अनजान बनते हुए पूछा, “सुदामा तुम रो क्यों रो रहे हो?”सुदामा ने कहा, “कृष्ण मैंने जो देखा है, वह सच था या यह जो मैं देख रहा हूं|” श्रीकृष्ण मुस्कराए, कहा, “जो देखा, भोगा वह सच नहीं था| भ्रम था… स्वप्न था… माया थी मेरी और जो तुम अब मुझे देख रहे हो… यही सच है… मैं ही सच हूं…मेरे से भिन्न, जो भी है, वह मेरी माया ही है| और जो मुझे ही सर्वत्र देखता है,महसूस करता है, उसे मेरी माया स्पर्श नहीं करती| माया स्वयं का विस्मरण है…माया अज्ञान है, माया परमात्मा से भिन्न… माया नर्तकी है… नाचती है… नाचती है… लेकिन जो श्रीकृष्ण से जुड़ा है, वह नाचता नहीं… भ्रमित नहीं होता… माया से निर्लेप रहता है, वह जान जाता है, सुदामा भी जान गया था… जो जान गया वह श्रीकृष्ण से अलग कैसे रह सकता है!!!!

 

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પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું…


પ્રેમ કરું છું, પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું,
જાણું નહીં કે કેટલો ને કેમ કરું છું.
વધતો રહે છે, સહેજ પણ ઘટતો નથી કદી
છલકાતો જાય છે, હું જેમ જેમ કરું છું.
પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું…
દિવસો વીતી રહે છે તને જોઈ જોઈને,
રાતો પસાર હું જેમ-તેમ કરું છું.
પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું…
ખીલતો રહું છું હુંય ને ખૂલતો જઉં છું હું,
ગમતું રહે છે જેમ તને હું તેમ કરું છું.
પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું…
પણ, હું તો તને પ્રેમ કરું છું…

 
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Posted by on ઓક્ટોબર 5, 2014 માં સરસ, સારી કવિતાઓ

 

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मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है..


कुछ जिद्दी, कुछ नक्चढ़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अपनी हर बात अब मनवाने लगी है
हमको ही अब वो समझाने लगी है
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अगर डाँटता हूँ तो आखें दिखाती है
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है
गुस्से में कभी पटाखा कभी फुलझड़ी हो गई है

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

जब वो हँसती है तो मन को मोह लेती है
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

घर आते ही दिल उसी को पुकारता है
सपने सारे अब उसी के संवारता है
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है…

(Source: Whatsapp group)

 

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ख़ुशी


एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसी सेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला , ” आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने ऐसा ही किया।

अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया। स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा।

सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे।

पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम
वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…

5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया।

स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप
सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ”

नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला। “कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसका नाम उसपर लिखा हुआ है। “, स्पीकर ने निर्दश दिया।

एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा- तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये।

स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,

” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है। हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता ,

दोस्तों हमारी ख़ुशी दूसरों क ी ख़ुशी में
छिपी हुई है।

जब तुम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जाओगे तो अपने आप ही तुम्हे तुम्हारी खुशियां मिल जाएँगी। और यही मानव-जीवन का उद्देश्य हे

 

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क्रोध को कमजोरी नहीं ताकत बनाओ.


एक 12-13 साल के लड़के को बहुत क्रोध आता था।
उसके पिता ने उसे ढेरसारी कीलें दीं और कहा कि जब
भी उसे क्रोध आए वो घर के सामने लगे पेड़ में वह
कीलें ठोंक दे। पहले दिन लड़के ने पेड़ में 30 कीलें
ठोंकी। अगले कुछ हफ्तों में उसे अपने क्रोध पर
धीरे-धीरे नियंत्रण करना आ गया। अब वह पेड़ में
प्रतिदिन इक्का-दुक्का कीलें ही ठोंकता था।
उसे यह समझ में आ गया था कि पेड़ में कीलें ठोंकने
के बजाय क्रोध पर नियंत्रण करना आसान था।
एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पेड़ में एक भी कील
नहीं ठोंकी।
जब उसने अपने पिता को यह बताया तो पिता ने उससे
कहा कि वह सारी कीलों को पेड़ से निकाल दे।
लड़के ने बड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे पेड़ से सारी कीलें
खींचकर निकाल दीं।
जब उसने अपने पिता को काम पूरा हो जाने के बारे में
बताया तो पिता बेटे का हाथ थामकर उसे पेड़ के पास
लेकर गया।
पिता ने पेड़ को देखते हुए बेटे से कहा – तुमने बहुत
अच्छा काम किया, मेरे बेटे, लेकिन पेड़ के तने पर बने
सैकडों कीलों के इन निशानों को देखो। अब यह पेड़
इतना खूबसूरत नहीं रहा।
हर बार जब तुम क्रोध कियाकरते थे तब इसी तरह के
निशान दूसरोंके मन पर बन जाते थे।
अगर तुम किसी के पेट में छुरा घोंपकर बाद में
हजारों बार माफी मांग भी लो तब भी घाव का निशान
वहां हमेशा बना रहेगा।
अपने मन-वचन-कर्म से कभी भी ऐसा कृत्य न
करो जिसके लिए तुम्हें सदैव पछताना पड़े|
क्रोध को कमजोरी नहीं ताकत बनाओ.

 

Whats App


Whats App ma roj badahe GM GN na sms mokalva vala koi divas gharma Ma-Baap ne Naman karo chho? 

Raat na ek ek vagya sudhi chat karvano time male chhe pan  family sathe  das minutes hasi ne vat karo chho ?

Whats app ma all world ni image ne video download karo chho pan  Maa Baap ni Mamta ne store karo chho…?
Are store to shu samajvani koshish pan karo chho……….?

What’s app ma puri duniya ne khabar rakho chho pan apna potana ghar ni vaato ni fikar karo chho ?

Anjan dost ni feeling ni parvah karo chho par  apna parivar ni feelings samjo chho ?

Mobile ma bahgvan na pictures jovo chho pan ghar na mandir ma mathu namavo chho?

Potani wife no chahero shant chite 5 minit sudhi  ek j najare joyo che…….?
Ne bijana family profile ma ketlo ras dharavo cho…………?

To Vichro ane Samjo….. 
Mobile jaruriyat chhe pan aapni potana family thi vadhare nahi…… 
Mobile fast life no hisso chhe pan life na bhoge nahi………

Dudh ma tarva maltu hoy to pan machlee pani per j pasandgi utarti hoy che…
Aapne machlee thi pan gaya ??

Don’t give importance to any thing more than your Family & Relationship.

 

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શાયરી અને કવિતા નો મેળો – 1


ઘણા દિવસ થી એક સાથે નાની નાની શાયરી અને કવિતાઓ (મને ગમતી) એક જ પોસ્ટ માં પોસ્ટ કરવા નું વિચારતો હતો. આજે એ પૂરું કરવા જઈ રહ્યો છું. જેમાં ડો. અખ્તર ખત્રી, રાજુ કોટક, ગીતા દોશી, કુલદીપ કારીયા, અજ્ઞાત , વગેરે ની છે. લગભગ બધા ની મંજુરી લઇ ને જ મૂકી છે. છતાં પણ કોઈ રચનાકાર ને વાંધો હોઈ તો જણાવવા વિનંતી. તેને તરત આ પોસ્ટ પર થી દુર કરી દેવા માં આવશે.
કાયમ બધા વાયદા નિભાવ્યા છે તમે,
બધા ક્ષણોને યાદગાર બનાવ્યા છે તમે,
તેટલે તો ચાહું છું ખુદના જીવથી વધુ,
ફક્ત તમને જ મનમાં વસાવ્યા છે અમે.

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ઘડીઓ ઓછી પડે તે પહેલા આવી જજો,
ધડકનો ઓછી પડે તે પહેલા આવી જજો,
ટેરવે ગણુ છું આપણા જુદાઈના દિવસો રોજ,
આંગળીઓ ઓછી પડે તે પહેલા આવી જજો.

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કિનારે પહોંચવાની આશા તૂટેલા વહાણ સાથે કરું છું,
દુખના પહાડ ચઢવાની આશા સીધા ચઢાણ સાથે કરું છું,
તમે છો સાથે તો કોઈ ડગમગાવી નહીં શકે મને કદી પણ,
ઈશ્વરથીય લડી લઈશ આ ઘોષણા ઈશ્વરને જાણ સાથે કરું છું.

*******

સપનુ જોઈશ અને તૂટશે તો વાંધો નથી,
તને પામીને શ્વાસ ખૂટશે તો વાંધો નથી,
ભરોસો છે મારા પ્રેમ પર મને તોય કહું છું,
મારો થઈ તૂ મને લૂટશે તો વાંધો નથી.
*******
કાશ !

ઉદાસ હું બેઠો હોઉં,

તે ઍક્દમ પાછળથી આવી,

મારી આંખો પર હાથ મૂકે અને કહે,

”ઓળખી જાવ તો હું તમારી,
ન ઓળખી શકો તો તમે મારા ”

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મારી મનાવવાની કળા ઍટલી પસંદ છે તેમને,
વગર કારણે જ ઘણી વાર રિસાઈ જાય છે તે.

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તમને ભૂલી જાઉં તે શક્ય નથી,
અજમાવશો ન કદી,

માણસ આંધળો પણ થઈ જાય તો
આંસુ વહેવાના બંધ નથી થતા.

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અશ્રુ ની વર્ષા થઇ ને સ્વપ્ન ધોવાઇ ગયા,
અમે તમને શોધતા રહ્યા અને તે ખોવાઈ ગયા,
જીવન ભર પ્રેમ કરતા રહ્યા મીરાં કૃષ્ણને અને,
કૃષ્ણ રાધા માં ખોવાઈ ગયા….

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તમે પણ આઈનાની જેમ જ બેવફા નીકળ્યા,
જે પણ સામે આવ્યુ બસ તેના જ થઈ ગયા.

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છોડી તો દીધો તમે પણ
તે ન વિચાર્યુ,

હવે જૂઠૂ બોલશો તો
જૂઠી કસમો કોની ખાશો ???

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સગાઓના તીર દરેક વખતે
નિશાન પર લાગ્યા,

બહારનાઓને તો ખબર જ ક્યાં હતી
ક્યાં વધુ દૂખશે !

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બોલો તો અધરોથી ફુલ ખરે,
પલકોમાં સેંકડો શ્વપ્નો સરે,
અસંખ્ય મળશે દીવાના તમને,
મારા જેવુ ઍકેય નહીં મળે.

*******

મને હવે તને યાદ કરવુ ગમતુ નથી,
ઝખ્મોને ખોતરવાનુ હવે નથી ગમતુ,
આશાઓ ખોટી ઠરી તારા આગમનની,
જિંદગીને છેતરવાનુ હવે નથી ગમતુ.

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આંખોમાંથી અશ્રુઓ ખંખેરીને
આવ્યા તેઓ મળવા મને ,

ઓઢણી તેની મારી વફાદાર હતી
તો કહી દીધુ મને.

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લાગી કોની મને નજર છે ?
કે તારી બદદુઆની અસર છે ?
કોઇ જોતૂ નથી તારા છોડ્યા પછી,
ખાલીખમ આ દીલનુ નગર છે.

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હ્રદય રોજ થોડુ થોડુ તૂટી રહ્યુ છે,
કશૂક તો કંટકની જેમ ખુંચી રહ્યુ છે.
સતાવે છે કોઈ શ્વપનોમાં આવીને,
મનની શાંતિ રોજ કોઈ લૂટી રહ્યુ છે.

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દીવાઍ દોસ્તી
કરી લીધી
આગથી
પ્રકાશની ચાહમાં……….

જેમ મેં
પ્રેમ કર્યો
તમારાથી
જિંદગીની ચાહમાં………….

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દુનિયા તો મૂર્ખ બની જાય છે
મારા હસવાથી,

માત્ર થોડાક લોકો છે
જે આંખોમાં ભીનાશ પારખી લે છે

*******

હું
તારું જુઠ્ઠું બોલેલું
એટલે સાચું માની લઉં છું
જેથી,
તું આ જ સહજતાથી
મારી સાથે ફરી ખોટું બોલી શકે…..

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માથા સુધી ખેંચી ચાદર તો, પગ ખુલ્લા રહી ગયા,
ખેંચાખેંચ લાગણીની પણ, લાગે છે આમ જ થતી હશે….
-Saket Dave…

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ન કહેવાય, ન સહેવાય…..

તારે
લાંબો સમય કોઈની સાથે
સ્મિતભરી વાતો કરતાં પહેલા
મારી થોડી થોડી, નાની નાની
મિડલ-ક્લાસ ઈર્ષ્યા વિષે
જરા વિચારી લેવું જોઈએ…..
-Saket Dave…

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જે થાકી ગઈ છે ,તું એને વધુ થકાવ નહીં,
નવા તમાશા જૂની આંખને બતાવ નહીં.
-ગુણવંત ઠક્કર

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સમજણનો સોયદોરો જો આરપાર થાશે,
ફાટેલ જિઁદગીની તો સારવાર થાશે.
-ડૉ. હરીશ ઠક્કર

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જો ફૂલની ઉપર સુઇએ તો
એ પહેલી રાત કહેવાય છે
અને જો
ફૂલો આપણી ઉપર સુવે તો
એ આખરી રાત કહેવાય છે ..

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રોજ સરી જાય છે સમય, આમ જ કચડીને !
બસ જીવ્યે જવાય છે ‘ગ્રીવા’, મારી મચડીને !!
– ગ્રીવા.

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આવે મઝા આ જીવન જીવવાની એટલે ….
Meeting……મૌત ની સાથે fix કરી છે….
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અટકી જવુ સારુ લાગે છે સમયને પણ,
તમે જ્યારે પણ સાથે હોવ છો તો.
ભટકી જવુ સારુ લાગે છે હ્ર્દયને પણ,
તમે જ્યારે પણ સાથે હોવ છો તો.

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પ્રમાણિકતા તેમને જ પરવડે છે
જે દિલથી અમીર અને ઉદાર હોય,

કેમકે પ્રમાણિકતાની કીમત ચૂકાવવી
દરેકના વશની વાત નથી.

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“તેમને ઍવો વહેમ કે
હું જીવ નહીં આપી શકું તેમના માટે,

અને

મને ઍવી બીક કે
તે રડશે ચૌધાર આંસુ સાથે મને અજમાવીને”

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હ્રદયે લખાયેલ નામ ક્યાં ભૂંસાય છે,
જુદાઈ આપીને કુદરત પણ હરખાય છે,
અલગ રહીને પણ એક સાથે રહે પ્રેમીઓ,
અને ત્યારે જ તો સાચો પ્રેમ પરખાય છે.

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ગરીબો ધનની ભીખ માંગે છે,
અમીરો દુઆની ભીખ માંગે છે,
પ્રેમીઓની વાત અલગ હોય છે,
તે તો બસ પ્રેમની ભીખ માંગે છે.

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આબરુના કાંકરા
કરી નાંખ્યા
વિધાતાની,
રહું છું તેની સાથે
જે કિસ્મતમાં નથી,

ભલે કલ્પનામાં
પણ તે સાથે તો છે,
મારી કલ્પના પર
તો વિધાતાનો
કોઈ અસર
નથી થવાનો.

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होते हैं सौदे… जाने किस किस तरह के …
हवा तक बिक जाती है यहाँ …गुब्बारों में भर कर… !!

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कभी वक्त मिला तो तेरी झूल्फें सुलझा दूँगा…
अभी तो में उलझा हूँ वक्त को सुलझाने में…

*योगेश ठाकर

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ભીંજાવુ એ મને હવે કોઠે પડી ગયું છે,
વરસાદમાં કે પછી તારી મીઠી યાદમાં…

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ચાલો માફ કર્યા તમને
મને ભૂલાવી દેવા માટે !

કે યાદ તો કરશો
કોઈ મળ્યુ હતુ મારા જેવુ કદી.

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તે પૂછે છે
કોણ છું હું તેમનો !

હવે મને પણ લાગે છે
કોણ છું હું તેમનો ?

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અદ્દલ વાદળ જેવી છે આ જિંદગી,
વરસી જાવ અને પૂરી આ જિંદગી.

કદી હર્ષના આંસુ તો કદી દુખના,
વરસી જાવ અને પૂરી આ જિંદગી.

*******

દરિયાથી છુપાવી મોતી લાવ્યો છું,
છીપલામાં છુપાવી પ્રેમ લાવ્યો છું,
આ લાગણીઓ પ્રેમતણી સ્વીકારો,
જોઈલો દરિયા જેટલો પ્રેમ લાવ્યો છું.

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શબ્દો તીર જેવા તેના સહી ગયા,
નહીં કહેવા જેવુ ઘણુ તે કહી ગયા,
ઝખ્મો તો રુઝાઇ ગયા ધીરે ધીરે,
તો પણ ડાઘ ઘણા હજુ રહી ગયા.

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ઓ નદી !

મળે કદી જો સમુદ્રને
કહેજે કે
ખારાશની દીવાની હું
એકલી નથી
બીજુ કોઈ પણ છે જેણે
વસાવી છે એટલીજ
ખારાશ આંખોમાં
પોતાના સુખ વેચીને !

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પ્રેમ સિવાય કઈ કરવાનું બાકી નથી,
હું તને પ્રેમ કરું છું એટલું કાફી નથી?……………રાજુ

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यमराज और नेता


एक नेता मरने के बाद यमपुरी पहुँच गया वहां यमराज ने उसका भव्य स्वागत किया, यमराज ने कहा इससे पहले कि मैं आपको स्वर्ग या नरक भेजूं पहले मैं चाहता हूँ कि आप दोनों जगहों का मुआयना कर लें कि आपके लिए कौन सी जगह ज्यादा अनुकूल होगी!

यमराज ने यमदूत को बुलाया और कहा कि नेता जी को एक दिन के लिए नरक लेकर जाओ और फिर एक दिन स्वर्ग घुमा कर वापिस मेरे पास ले आना, यमदूत नेता को नरक में ले गया नेता तो नरक कि चकाचौंध देखकर हैरान रह गया चारों तरफ हरी भरी घास और बीच में गोल्फ खेलने का मैदान, नेता ने देखा उसके सभी दोस्त वहां घास के मैदानों में शांति से बैठे है और कुछ गोल्फ खेलने का आनंद ले रहे हैं, उन्होंने जब उसे देखा तो वे बहुत खुश हुए और सब उससे गले मिलने आ गए और, बीते हुए दिनों कि बातें करने लगे पूरा दिन उन्होंने साथ में गोल्फ खेला, और रात में शराब और मछली का आनंद लिया!

अगले दिन यमदूत नेता को स्वर्ग लेकर गया जैसे ही वे स्वर्ग के द्वार पर पहुंचे स्वर्ग का दरवाजा खुला, नेता ने देखा रोशनी से भरा दरबार था स्वर्ग का! सभी लोगों के चेहरे पर असीम शांति कोई भी एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे, मधुर संगीत बज रहा था, कुछ लोग बादलों के ऊपर तैर रहे थे नेता ने देखा सभी लोग अपने अपने कार्यों में व्यस्त थे, नेता उन सब को गौर से देख रहा था नेता ने बड़ी मुश्किल से एक दिन काटा!

सुबह जब यमदूत उसे लेकर यमराज के पास पहुंचा तो यमराज ने कहा हाँ तो नेताजी आपने अपना एक दिन नरक में गुजारा और एक स्वर्ग में, अब आप अपने लिए स्थान चुनिए जहाँ आप को भेजा जाये!

नेता ने कहा वैसे तो स्वर्ग में बड़ा आनंद है, शांति है फिर भी वहां मेरे लिए समय काटना मुश्किल है, इसलिए आप मुझे नरक भेजिए वहां मेरे सभी साथी भी है, मैं वहां आनंद से रहूँगा यमराज ने उसे नरक भेज दिया!

यमदूत उसे लेकर जैसे ही नरक पहुंचा तो वहां का दृश्य देखकर स्तब्द रह गया वो एक बिलकुल बंजर भूमि पर उतरा, जहाँ चारों ओर कूड़े करकट का ढेर लगा था, उसने देखा उसके सभी दोस्त फटे हुए गंदे कपड़ों में कबाड़ इकट्ठा कर रहे थे, वो थोड़ा परेशान हुआ और तभी यमदूत ने डरावनी हंसी हँसते हुए कहा, नेताजी क्या हुआ?

नेता ने कहा मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कल जब मैं यहाँ आया था तो यहाँ घास के हरे भरे मैदान थे, और मेरे सभी दोस्त गोल्फ खेल रहे थे फिर हमने साथ बैठकर शराब पी और मछली खायी थी और हमने खूब मस्तियाँ की थी!
आज यहाँ पर बंजर भूमि है, कूड़े करकट के ढेर है और मेरे दोस्तों का तो हाल ही बुरा है!

यमदूत हल्की सी हंसी के साथ:– “नेताजी कल तो हम चुनाव प्रचार पर थे.. आज आपने हमारे पक्ष में मतदान किया है”!

 

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Posted by on જુલાઇ 25, 2012 માં સરસ

 

ટૅગ્સ:

મધ


મધ ગમે તેટલો મીઠું હોય ,..
મધમાખી ને સાચવવા કોઈ તૈયાર નહિ થાય .
કારણ ….ડંખ મારવાની ટેવ…………
”સ્વભાવ” ગમે તેટલો સારો હોય …પણ
”બીજા ને સંભળાવી દેવા ની.ટેવ હશે તો
કોઈ સાચવવા તૈયાર નહિ થાય…

 
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Posted by on જુલાઇ 23, 2012 માં સરસ

 

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