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क्रोध को कमजोरी नहीं ताकत बनाओ.


एक 12-13 साल के लड़के को बहुत क्रोध आता था। उसके पिता ने उसे ढेरसारी कीलें दीं और कहा कि जब भी उसे क्रोध आए वो घर के सामने लगे पेड़ में वह कीलें ठोंक दे। पहले दिन लड़के ने पेड़ में 30 कीलें ठोंकी। अगले कुछ हफ्तों में उसे अपने क्रोध पर धीरे-धीरे नियंत्रण करना आ गया। अब वह पेड़ में प्रतिदिन इक्का-दुक्का कीलें ही ठोंकता था।

उसे यह समझ में आ गया था कि पेड़ में कीलें ठोंकने के बजाय क्रोध पर नियंत्रण करना आसान था। एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पेड़ में एक भी कील नहीं ठोंकी। जब उसने अपने पिता को यह बताया तो पिता ने उससे कहा कि वह सारी कीलों को पेड़ से निकाल दे।

लड़के ने बड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे पेड़ से सारी कीलें खींचकर निकाल दीं। जब उसने अपने पिता को काम पूरा हो जाने के बारे में बताया तो पिता बेटे का हाथ थामकर उसे पेड़ के पास लेकर गया।

पिता ने पेड़ को देखते हुए बेटे से कहा – तुमने बहुत अच्छा काम किया, मेरे बेटे, लेकिन पेड़ के तने पर बने सैकडों कीलों के इन निशानों को देखो। अब यह पेड़ इतना खूबसूरत नहीं रहा। हर बार जब तुम क्रोध कियाकरते थे तब इसी तरह के निशान दूसरोंके मन पर बन जाते थे। अगर तुम किसी के पेट में छुरा घोंपकर बाद में हजारों बार माफी मांग भी लो तब भी घाव का निशान वहां हमेशा बना रहेगा। अपने मन-वचन-कर्म से कभी भी ऐसा कृत्य न करो जिसके लिए तुम्हें सदैव पछताना पड़े|

क्रोध को कमजोरी नहीं ताकत बनाओ.

 

ईश्वर को चाहना और ईश्वर से चाहना.. दोनों में बहुत अंतर है…


एक नगर के राजा ने यह घोषणा करवा दी कि कल जब मेरे महल का मुख्य दरवाज़ा खोला जायेगा..तब जिस व्यक्ति ने जिस वस्तु को हाथ लगा दिया वह वस्तु उसकी हो जाएगी..

इस घोषणा को सुनकर सब लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं अमुक वस्तु को हाथ लगाऊंगा…कुछ लोग कहने लगे मैं तो स्वर्ण को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग कहने लगे कि मैं कीमती जेवरात को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग घोड़ों के शौक़ीन थे और कहने लगे कि मैं तो घोड़ों को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग हाथीयों को हाथ लगाने की बात कर रहे थे, कुछ लोग कह रहे थे कि मैं दुधारू गौओं को हाथ लगाऊंगा..

कल्पना कीजिये कैसा अद्भुत दृश्य होगा वह !!

उसी वक्त महल का मुख्य दरवाजा खुला और सब लोग अपनी अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगाने दौड़े..सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगा दूँ ताकि वह वस्तु हमेशा के लिए मेरी हो जाएँ और सबके मन में यह डर भी था कि कहीं मुझ से पहले कोई दूसरा मेरी मनपसंद वस्तु को हाथ ना लगा दे..

राजा अपने सिंघासन पर बैठा सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग दौड़ को देखकर मुस्कुरा रहा था..

उसी समय उस भीड़ में से एक छोटी सी लड़की आई और राजा की तरफ बढ़ने लगी..राजा उस लड़की को देखकर सोच में पढ़ गया और फिर विचार करने लगा कि यह लड़की बहुत छोटी है शायद यह मुझसे कुछ पूछने आ रही है..

वह लड़की धीरे धीरे चलती हुई राजा के पास पहुंची और उसने अपने नन्हे हाथों से राजा को हाथ लगा दिया..राजा को हाथ लगाते ही राजा उस लड़की का हो गया और राजा की प्रत्येक वस्तु भी उस लड़की की हो गयी..

जिस प्रकार उन लोगों को राजा ने मौका दिया था और उन लोगों ने गलती की..ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी हमे हर रोज मौका देता है और हम हर रोज गलती करते है..

हम ईश्वर को पाने की बजाएँ ईश्वर की बनाई हुई संसारी वस्तुओं की कामना करते है और उन्हें प्राप्त करने के लिए यत्न करते है, पर हम कभी इस बात पर विचार नहीं करते कि यदि ईश्वर हमारे हो गए तो उनकी बनाई हुई प्रत्येक वस्तु भी हमारी हो जाएगी..

ईश्वर को चाहना और
ईश्वर से चाहना..
दोनों में बहुत अंतर है…

 

ટૅગ્સ:

कभी खुद से भी मिला कीजिये…


न चादर बड़ी कीजिये,
न ख्वाहिशें दफन कीजिये,
चार दिन की ज़िन्दगी है,
बस चैन से बसर कीजिये…

न परेशान किसी को कीजिये,
न हैरान किसी को कीजिये,
कोई लाख गलत भी बोले,
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये…

न रूठा किसी से कीजिये,
न रूठा किसी को रहने दीजिए,
कुछ फुरसत के पल निकालिये,
कभी खुद से भी मिला कीजिये…

 
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Posted by on ઓગસ્ટ 14, 2019 માં Hindi Shayari