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Monthly Archives: ફેબ્રુવારી 2019

लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!


कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया,
एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया.
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला,
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!
नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था,
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था.
फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील,
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है.
इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है,
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है.

दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है,
अब ना देखो किसी की बाट,
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट…

जज की आँख हो गयी लाल,
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल..
तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता,
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता…

जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो.

कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो,
फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला,
हाँ, मैंने वो लड़की खायी है,
अपनी कुत्तानियत निभाई है,
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना,
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना.

पर मैं दया-धर्म से दूर नही,
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही,
मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी,
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी,
जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास,
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी,
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी.

मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था,
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था,
मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई,
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई!!!?
चल मेरे साथ, उसे लेकर आ,
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला.

माँ सुनते ही रोने लगी,
अपने दुख सुनाने लगी,
बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को!!?

तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को,
मेरी सासू मारती है तानों की मार,
मुझे ही पीटता है, मेरा भतार,
बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार,
लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही.
कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही!!!

वंश की तो तूने काट दी बेल,
जा खत्म कर दे इसका खेल.
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी,
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी.

कुत्ते का गला भर गया,
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया….!
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया,
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया.

वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी,
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी.
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर, फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर.

मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी…!!?
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी..!!?

हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम,
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम.
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो,
और खुद को इंसान कहलवाते हो.
मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान.

जो समाज इससे नफरत करता है,
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है,
वहां से तो इसका जाना अच्छा,
इसका तो मर जान अच्छा.

तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते,
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते,
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!

 
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Posted by on ફેબ્રુવારી 28, 2019 માં Poems / कविताए, SELF / स्वयं

 

Shayri Part 38


नादान आईने को क्या खबर,

कि,

एक चेहरा, चेहरे के अन्दर भी होता है…।

*******

बदल दिए हैं हमने….अब नाराज होने के तरीके

रूठने की बजाय..बस हल्के से मुस्कुरा देते हैं…।

*******

भिड मे जिने की आदत नही मुजे
थोडे मे जिना सिख लिया है मेने…..

चन्द दोस्त है… चन्द दुवाऐ है
बस ईतनी सी खुशीयो को दिल से लगा लिया है मेने…।

*******

जिंदगी और घर में अपनों का होना बहुत जरूरी है,

वर्ना कितना भी एशियन पेन्ट करवा लो दीवारें कभी कुछ नहीं बोलती…!!

*******

ये ग़लत कहा किसी ने कि मेरा पता नहीं हैं,

मुझे ढूँढने की हद तक कोई ढूँढता नहीं हैं ।

*******

दायरा हर बार बनाता हूं ज़िदगी के लिए,
लकीरें वहीं रहती है, मैं खिसक जाता हूं ।

*******

बेहतरीन होता है वो रिश्ता,
जो तकरार होने के बाद भी,
सिर्फ एक मुस्कुराहट पर पहले जैसा हो जाए…..।।

*******

लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं…..
‘ज़ुबान’ कभी कभी…

पता नहीं ‘खामोशी’,
मज़बूरी’ हैं या ‘समझदारी’।

*******

सहम उठते हैं कच्चे मकान,
पानी के खौफ़ से..
महलों की आरज़ू है कि,
जम के बरसे…

*******

एक वजह नहीं उनके पास मुझे अपनाने के लिए,
सौ बहाने जरूर है मुझे छोड़ने के लिए…. ।

*******

कहने को मैं अकेला हूं, पर हम चार है…
एक मैं, मेरी परछाई, मेरी तन्हाई और उनका एहसास…।

*******

ख्वाहिश पूरी हो तो हमे भी बताना

हम भी ख्वाहिश करना चाहते है….!!

*******

जिनसे मिलना किस्मत में न हो..

उनसे मुहब्बत कमाल की होती है..!!

*******

सुनो, एकदम से जुदाई मुश्किल है,
मेरी मानों कुछ किश्तें तय कर लो …

*******

अब कौन घटाअों को, घुमड़ने से रोक पायेगा,
ज़ुल्फ़ जो खुल गयी तेरी, लगता है सावन आयेगा ।

*******

अदाओं से तेरी मैं अनजाना नहीं,
मगर माफ़ करना, मैं अब वो दीवाना नहीं ।

*******

दाद देते है तुम्हारे ‘नजर-अंदाज’ करने के हुनर को.!!

जिसने भी सिखाया वो उस्ताद कमाल का होगा..!

*******

बंद कर दिए है हमने दरवाज़ें “इश्क” के…

पर तेरी याद हे की “दरारों” मे से भी आ जाती हैं !!

*******

परेशान करती है मुझे ….
मेरी ये आँखे …..
खुली रखूँ तो तलाश तेरी ….
बन्द रखूँ तो ख़्वाब तेरे …..

*******

यही जीवन है

” कद्र और कब्र” कभी जीते जी नहीं मिलती..!!

*******

मैं भी जिंदा हू
वो भी जिंदा है…
कत्ल तो बेचारे
इश्क का हुआ है…!!!

*******

में सो रहा था उनकी यादों में,
उनकी बातों ने मुझे जगा दिया ।

*******

शरारतें करने का मन अभी भी करता है..

पता नहीं बचपना जिंदा है या इश्क अधुरा है..।

*******

क़दर करना सिख लो साहब,

ना ज़िंदगी बार बार आती है,
ना हम जैसे लोग…।

*******

दुआएँ मिल जाये सब की , बस यही काफी है
दवाएँ , तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती है !

*******

“मैं रंगहीन PAN जैसा, तुम आधार सी पिंक प्रिये….
आया है सरकार का फतवा, हो जाओ मुझसे लिंक प्रिये………”

*******

बहुत खूबसूरत वहम है मेरा….

कहीं तो कोई है….जो सिर्फ मेरा है…!!

*******

रंग बदला ढंग बदला फिर …मिज़ाज भी बदल दिया

छोड़कर फितरत अपनी …उसने हर अंदाज़ बदल दिया ।

*******

थोडा थक गया हूँ , दूर निकलना छोड दिया है।
पर ऐसा नहीं है की , मैंने चलना छोड दिया है ।।

फासले अक्सर रिश्तों में , दूरी बढ़ा देते हैं।
पर ऐसा नही है की , मैंने अपनों से मिलना छोड दिया है ।।

हाँ . . . ज़रा अकेला हूँ , , ,दुनिया की भीड में।
पर ऐसा नही की , मैंने अपनापन छोड दिया है ।।

याद करता हूँ अपनों को, परवाह भी है मन में।
बस , कितना करता हूँ , ये बताना छोड दिया।।

*******

लोग कहते है के खुश रहो,

मगर मजाल है रहेने दे !!!

*******

आसमान से उतरी है, तारों से सजाई है;
चांद की चाँदनी से नहलाई है;

ए दोस्त, संभल कर रखना ये दोस्ती;
यही तो हमारी ज़िंदगीभर की कमाई है ।

*******

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए…

*******

तुम,तुम्हारा इश्क़ , जज़्बात तुम्हारे,
काश सब मेरे होते तो क्या बात होती…

*******

सही वक्त पर करवा देंगे हदों का अहसास,

कुछ तालाब खुद को समंदर समझ बैठे हैं…!!

*******

पाने की तलब थी कहाँ,

हम तो बस तुझे खो देने से डरते थे…

*******

जाने कौन से गम को छुपाने की कोशिश थी उनकी,
आज हर बात पर उनको मुस्कुराते देखा !!

*******

हम तुम पर नही
तुम्ही को लिखते हैं…

*******

मुझे भी समझा दे अपनी मज़बुरीयां इस कदर,
की भुल जाऊ मै भी तुझे उन मज़बुरीयो के खातिर !!

*******

सुबह की ख्वाहिशें शाम तक टाली है ,
इस तरह हमने ज़िन्दगी सम्भाली है….।

*******

बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आश,
परछाईं भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश।

*******

इम्तिहान समझकर सारे ग़म सहा करो
शख़्सियत महक उठेगी बस खुश रहा करो

*******

थोड़ा सा … छुप छुप कर खुद के लिये भी जी लिया करो,

कोई नही कहेगा कि थक गये हो… आराम करों… ।

*******

तसल्ली के भी
नख़रे बहुत हैं..

लाख कोशिशें कर लो
मिलती ही नही है ।।

*******

बहुत सीमेंट है साहब आजकल की हवाओं में,
दिल कब पत्थर हो जाता है पता ही नहीं चलता !!

*******

बेवजह सरहदों पर इल्जाम है बंटवारे का…

लोग मुद्दतों से एक घर में भी अलग रहते है…!!!

*******

थम के रह जाती है ज़िंदगी…,

जब जम के बरसती है पुरानी यादें…!!!

*******

संभल कर चल नादान ,
ये इंसानों की बस्ती हैं …

ये रब को भी आजमा लेते हैं,
फिर तेरी क्या हस्ती हैं …!!!

*******

वो मेरे साथ है साए की तरह..
दिल की ज़िद है कि नज़र भी आए ।

*******

काश, वो भी बेचैन होकर कह दें…मैं भी तन्हा हूँ ….,

तेरे बिन, तेरी तरह, तेरी कसम, तेरे लिए……!!!!

*******

ना जाने कब वो हसीं रात होगी,
जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होगी,
बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में,
जब उनके होंठों की सुर्खियाँ हमारे होंठों के साथ होगी..।

*******

चलिए,बेवजह बातों से कुछ मीठी मीठी बातों का आग़ाज़ करते हैं…

कहिए आप हमें कितना याद करते हैं…।

*******

खामोशियां जिनको अच्छी लग जायें…

वो फिर…………बोला नहीं करते….!

*******

तेरी यादों की खुशबू से, हम महकते रहतें हैं!!

जब जब तुझको सोचते हैं, बहकते रहतें हैं!!

*******

खामोशियां जिनको अच्छी लग जायें…
वो फिर…………बोला नहीं करते….!

*******

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Posted by on ફેબ્રુવારી 20, 2019 માં Hindi Shayari, SELF / स्वयं

 

ટૅગ્સ: , ,

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है….


एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे. एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ.

भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना. कुछ बोलना नहीं, मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है.

सेवक मान जाता है.

सबसे पहले मंदिर में बिजनेसमैन आता है और कहता है, भगवान मैंने नयी फैक्ट्री डाली है, उसे खूब उंचाई पर पहुंचाना और वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे गिर जाता है. वह बिना पर्स लिये ही चला जाता है.

सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता. इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं, भगवान मदद कर. तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और चला जाता है.

अब तीसरा व्यक्ति आता है. वह नाविक होता है. वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान.

तभी पीछे से बिजनेसमैन पुलिस के साथ आता है और पुलिस को बताता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है. इसी ने मेरा पर्स चुराया है, पुलिस नाविक को पकड के ले जा रही होती है कि भगवान की जगह खडा सेवक बोल पड़ता है कि पर्स तो उस गरीब आदमी ने उठाया है.

अब पुलिस उस गरीबआदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.

रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी-खुशी पूरा किस्सा बताता है. भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है.

वह व्यापारी गलत धंधे करता है. अगर उसका पर्स गिर भी गया, तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ना था. इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इनसान को मिला था. पर्स मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते.

रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां तूफान आनेवाला था. अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती. उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने सब गड़बड़ कर दी.

बात पते की. कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ. लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है. जब भी कोई प्रॉब्लम आये. उदास मत होना. इस स्टोरी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है….

 

ટૅગ્સ:

Shayri Part 37


तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो,…

फिर तुम्हें शायद कोई

हम सा बेज़ुबाँ मिले ना मिले…

*******

ये कश्मकश है ज़िंदगी की…कि कैसे बसर करें ……

चादर बड़ी करें या …ख़्वाहिशे दफ़न करे…..

*******

उनका इल्ज़ाम लगाने का अन्दाज़ इतना गज़ब था…..

कि हमने खुद अपने ही ख़िलाफ गवाही दे दी ..!

*******

न चादर बड़ी कीजिये,
न ख्वाहिशें दफन कीजिये,
चार दिन की ज़िन्दगी है,
बस चैन से बसर कीजिये…

न परेशान किसी को कीजिये,
न हैरान किसी को कीजिये,
कोई लाख गलत भी बोले,
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये…

न रूठा किसी से कीजिये,
न रूठा किसी को रहने दीजिए,
कुछ फुरसत के पल निकालिये,
कभी खुद से भी मिला कीजिये…

*******

दुआ करो, मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ..

तुम्हें भी देख सकूँ, खुद को भी सम्भाल सकूँ…

*******

आईने से इतना मुंह चुराते हो

रूह से थोड़ा संवर क्यों नही जाते..

*******

तमाम गिले-शिकवे भुला कर सोया करो यारो….

सुना है मौत किसी को मुलाक़ात का मौका नही देती…

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रिश्ते काँच सरीख़े हैं,
टूट कर बिखर ही जाते हैं…

समेटने की ज़हमत कौन करे,
लोग काँच ही नया ले आते हैं…

*******

इश्क़ इक ख़तरा है मेरे दोस्तो,
और मुझे लगता है मेैं ख़तरे में हूं…

*******

इश्क़ में ये दावा तो नहीं है मैं ही अव्वल आऊंगा
लेकिन इतना कह सकता हूं अच्छे नम्बर लाऊंगा

*******

जाती सर्दियां
आती गर्मियां
एक मौसम
रहता है
तेरे मेरे
दरमियाँ !!

-आसिम

*******

सांस के साथ
अकेला चल रहा था..

सांस गई तो
सब साथ चल रहे थे

*******

मुद्दतें लगीं बुनने में ख्वाब का स्वैटर..

तैयार हुआ तो मौसम बदल चुका था।

*******

लिखो तो कुछ इस तरहा कि..

पन्नों पर नाम और
दिल में जगह बरकरार रहे!!

*******

महफ़िल लगी थी बद-दुआओं की,

हमने भी दिल में कहा !

उसे इश्क़ हो…..उसे इश्क़ हो…. उसे इश्क़ हो……..!!

*******

बिन धागे की सुई सी बन गई है ये ज़िंदगी…….

सिलती कुछ नहीं……..

बस चुभती चली जा रही है….

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हसरत पूरी ना हों तो ना सही….

ख्वाहिश करना कोई गुनाह तो नहीं….!!

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जाने कैसे गुज़ार दी मैंने

ज़िंदा होता , तो मर गया होता

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वक्त-वक्त की बात है…

कल जो रंग थे,
आज दाग हो गये।

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जिस्म आया किसी के हिस्से में ….
दिल किसी और की अमानत है ….

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मेरे आईने में तुम दीखते हो

कभी ले जाकर तसल्ली कर लेना !!

आसिम !!

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ज़िन्दगी सारी उम्र संभलती रही दो पाँव पर…

मौत ने आते ही कहा.. मुझे चार कँधे चाहिए…

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एक ‪ज़ख्म‬ नहीं यहाँ तो सारा ‪वजूद‬ ही ज़ख्मी है,

दर्द भी ‪हैरान‬ है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!

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खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा…
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, यूँ ही गुज़र जाऊँगा…।

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बड़ी होशियारी से मैंने ये भी पाप किया…
कि पाप के घड़े में ही छेद कर दिया…

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कौन कहता है के तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती…

बड़ा हसीन मौका देती है ये ख़ुद से मिलने का…

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रास्ता इक नया बनाता हूँ…

जब कोई रास्ता नहीं देता…

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बिना बुलाए आ जाता है कोई सवाल ही नही करता…

ये तेरा ख्याल भी… मेरा ख्याल नही करता… !!!

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डरते हैं तुमसे….. कुछ कहने से……

और रोज मरते हैं ….ना कहने से…

*******

रात तकती रही आंखों में , दिल आरजू करता रहा ,
कोई बे सबब रोता रहा , कोई बे खबर सोता रहा ….!!

*******

सब कहते है
रात हो तो नींद आती है
सब की बातें छोडो
मेरी कहाँ चली जाती है !

शब्बा खैर

आसिम !!!

*******

शोहरतें बदल देती हैं रिश्तों के मायने…

मुकद्दर किसी को इतना भी मशहूर ना करे.

*******

बहुत ख़ास हैं वो लोग
इस दुनिया में….

जो वक़्त आने पर,
वक़्त दिया करते हैं…

*******

संभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया…

कुछ ऐसी बात कही उसने लड़खड़ाते हुए…

*******

किसके लिए जन्नत बनाई है तूने ऐ खुदा
कौन है इस जहाँ में जो गुनाहगार नहीं है

*******

शरारतें करने का मन अभी भी करता है, ….

पता नहीं बचपना जिंदा है या अधुरा है!! …..

*******

दिल की बातें खुल जाएंगी…
कोई सही चाबी तो लगाए..

*******

एक ऐसी सुबह होनी चाहिए

मेरी ग़ज़लें

और तेरी ज़ुबाँ होनी चाहिए !!

आसिम !!

*******

मेरे ऐबों को तलाशना बंद कर दिया है लोगों ने,

मैंने तोहफ़े में उन्हें जब से आईना दे दिया है…

*******

या तो खरीद लो ….. या खारिज़ कर दो मुझे,

यूँ सहूलियत के हिसाब से, किराये पर मत लिया करो मुझे…

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आवाज़ ! फूंक के मिजाजःपर इतराती हे ,

वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है .।।

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सुना है अब अपनी मर्ज़ी से मरा जा सकता है ..

जिया भी जा सकता तो कितना अच्छा होता…

*******

मोहब्बत से गुज़रा हूँ
अब मयख़ाने में जाना है,

दोनों का असर एक ही है,
बस होश ही तो गंवाना है.

*******

बचपन कि ख्वाहिशें आज भी “खत” लिखती हैं मुझे…….,

शायद बेखबर इस बात से हैं की
वो जिंदगी अब इस “पते” पर नही रहती।

*******

आँसू वो खामोश दुआ है..

जो सिर्फ़ खुदा ही सुन सकता है..!!

*******

फूल और दिल एक से हैं,

तकलीफ दो, तो मुरझा जाते हैं…

*******

चांद अगर पूरा चमके तो उसके दाग़ खटकते हैं,

एक न एक बुराई तय है सारे इज़्ज़तदारों में…..

*******

हमें…अच्छा नहीं लगता….

तुम्हें अच्छा लगे कोई…

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ख़ुद्दारी वजह रही कि ज़माने को कभी हज़म नहीं हुए हम,

पर ख़ुद की नज़रों में, यकीं मानो, कभी कम नहीं हुए हम!

*******

ख़ामोशी का अपना मज़ा है,
पेड़ों की जड़े फड़फड़ाया नहीं करतीं..।

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ऐसा लगता है नाराज़गी बाक़ी है अभी…

हाथ थामा है मगर दबाया नहीं उसने..

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वक़्त का सितम तो देखिए…

खुद गुज़र गया …हमें वहीं छोड़ कर…

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फ़ुरसत अगर मिले तुम्हे, तो कभी मुझे भी पढ़ना ज़रुर,
मैं नायाब उलझनों की मुक्कमल किताब हुँ।

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मैं ने भी देखने की हद कर दी..

वो तस्वीर से निकल आई..!!

*******

मेरे शब्दों की उम्र बस इतनी

तेरी नज़रों से शुरू …तेरी मुस्कान पे खत्म..

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खुद से नहीं हारें
तो अवश्य जीतेंगे

*******

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Posted by on ફેબ્રુવારી 2, 2019 માં Hindi Shayari, Uncategorized

 

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